संक्षिप्त जीवनी

भारतीय संगीत के समुज्ज्वल इतिहास के महारथी संगीत कलानिधि मास्टर कृष्णराव फुलंब्रीकर |

जन्म व बचपन

श्री. कृष्णाजी गणेश फुलंब्रीकर अर्थात संगीतकलानिधि मास्टर कृष्णराव उर्फ मास्तर कृष्णराव या कृष्णा मास्तर (केवल 'मास्टर' नाम से अधिक प्रचलित ) का जन्म २० जनवरी १८९८ के दिन महाराष्ट्र के देवाची आलंदी में अपने ननिहाल में माँ मथुराबाई की कोख से हुआ | मास्टरजी का घराना वेदपठन करनेवाले देशस्थ यजुर्वेदी ब्राह्मण का घराना था | इस घराने के पूर्वज मराठवाड़ा के फुलंब्री नामक गाँव में बसते थे और वेदों का पठन करनेवाले इस अर्थ में ‘पाठक’ उपजाति से पहचाने जाते थे | एक बार इस घराने का तीन पीढ़ियों पूर्व का कोई ज्ञानी वेदमूर्ति वेदपठन हेतु फुलंब्री से पुणे आकर श्रीमंत नानासाहब पेशवा के दरबार में पहुंचा | पुणे की पर्वती पहाड़ी की तलहटी में लगनेवाली रमणी में पेशवा विद्वान् ब्राह्मणों की विद्वत्ता की कदर करते हुए उनका यथोचित सम्मान करते थे | जब इस वेदमूर्ति ने बुलंद आवाज में सुस्वर वेदों की ऋचाएं पढ़ी, तब नानासाहब बड़े प्रसन्न हुए और उस वेदज्ञानी पूर्वज का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘आज से आप फुलंब्रीकर के नाम से जाने जाओगे’| इस घटना के पश्चात् मास्टरजी का घराना पाठक की जगह फुलंब्रीकर नाम से पहचाना जाने लगा | वेदज्ञानी पूर्वज पुणे में ही बस गया, जिससे आगे की पीढ़ियां भी वहीं की होकर रह गई | मास्टरजी के पिता श्री गणेशपंत भी वेदमूर्ति थे | दुर्भाग्य से बचपन में उपनयन संस्कार होने से पहिले ही मास्टरजीके सिर से पिता की छत्रछाया उठ गई, जिससे उन्हें बड़े कठिन आर्थिक हालातों का सामना करना पड़ा |

संवाद व संपर्क

अनुसरण किजीए