रचनात्मक सांगीतिक कार्य : सुगम संगीत

संगीत शास्त्रकार डॉ.अशोक रानडे ने मास्टर कृष्णराव की सांगीतिक उपलब्धियों का अध्ययन करते हुए उन्हें ‘मराठी सुगम संगीत का प्रवर्तक’ ठहराया है | प्रभात फिल्म कम्पनी के ‘गोपालकृष्ण’ जैसी फिल्मों को मास्टरजी ने जो संगीत दिया है, वह बहुत ही सरल व सुबोध है | इस संगीत के के बारे में डॉ. रानडे अपने एक आलेख में लिखते हैं कि ‘यह संगीत मराठी सुगम संगीत की नींव है |’

मास्टरजी द्वारा दी गई धुनें सुगम व सरल है, साथ ही अधिकांश संगीत रचनाओं में कम से कम स्वरों को उपयोग में लाया हुआ गोचर होता है | ऐसा प्रतीत होता है कि इन रचनाओं को अनावश्यक सांगीतिक जटिलता से बचाते हुए उसकी जगह पर सहज भाव को अधिक महत्व दिया गया है |

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अनुसरण किजीए